दलाई लामा की उत्तराधिकार: भविष्य के परिदृश्य और भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव

द्वारा संपादित: Татьяна Гуринович

दलाई लामा के उत्तराधिकार को लेकर चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ रहा है। यह मुद्दा दोनों देशों के संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कई भविष्य के परिदृश्यों को जन्म देता है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की जुलाई 2025 में चीन यात्रा की तैयारी के साथ, यह विषय और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एक संभावित परिदृश्य यह है कि चीन अपने पसंदीदा उम्मीदवार को दलाई लामा के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर सकता है, जिससे तिब्बती समुदाय में असंतोष और विरोध बढ़ेगा। 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, और चीन की इस तरह की कार्रवाई से स्थिति और खराब हो सकती है। दूसरा परिदृश्य यह है कि भारत और चीन इस मुद्दे पर एक समझौता कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, इस तरह के समझौते की संभावना कम है, क्योंकि दोनों देशों के अपने-अपने हित और प्राथमिकताएं हैं। भारत दलाई लामा और तिब्बती समुदाय का समर्थन करता है, जबकि चीन तिब्बत को अपना अभिन्न अंग मानता है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। एक अन्य परिदृश्य यह है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा भारत और चीन के बीच संबंधों में एक स्थायी बाधा बन सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच अविश्वास और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। भविष्य में, यह मुद्दा और भी जटिल हो सकता है, क्योंकि दलाई लामा की उम्र बढ़ रही है और उनके उत्तराधिकार का सवाल जल्द ही हल करना होगा। इस मुद्दे का समाधान भारत और चीन के बीच संबंधों के भविष्य और तिब्बत की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होगा। दोनों देशों को इस मुद्दे पर रचनात्मक बातचीत करनी चाहिए और एक ऐसा समाधान खोजना चाहिए जो सभी पक्षों के हितों का सम्मान करे।

स्रोतों

  • Al Jazeera Online

  • China says US is in 'no position' to point fingers over Tibet issues

  • India backs Dalai Lama's position on successor, contradicting China

  • Dalai Lama succession row: MEA says India does not take position on matters of religion amid China's objection

  • Jaishankar’s China visit to set stage for Modi’s SCO summit in Beijing

  • The Dalai Lama Succession Row Is A Challenge For India, Too

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