जुलाई 2025 में, बार्सिलोना विश्वविद्यालय और पडुआ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नया सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में मौजूदा मान्यताओं को चुनौती देता है। यह शोध *फिजिकल रिव्यू रिसर्च* पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
वर्तमान में, ब्रह्मांड के प्रारंभिक क्षणों को समझने के लिए 'इन्फ्लेशन' मॉडल का उपयोग किया जाता है, जो ब्रह्मांड के अत्यधिक तेजी से विस्तार की अवधारणा पर आधारित है। हालांकि, इस मॉडल में कई समायोज्य पैरामीटर होते हैं, जो इसकी भविष्यवाणी की क्षमता को सीमित करते हैं।
नए प्रस्तावित मॉडल में, प्रारंभिक ब्रह्मांड एक स्थिर ब्रह्मांडीय स्थिति से शुरू होता है, जो वर्तमान में ज्ञात डार्क एनर्जी के अवलोकनों के अनुरूप है। यह मॉडल काल्पनिक क्षेत्रों या कणों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि अंतरिक्ष-समय में प्राकृतिक क्वांटम उतार-चढ़ाव, विशेषकर गुरुत्वाकर्षण तरंगों, को ब्रह्मांडीय संरचनाओं के गठन के लिए पर्याप्त मानता है।
यह दृष्टिकोण एक सरल और अधिक परीक्षण योग्य मॉडल प्रदान करता है, जो ब्रह्मांडीय विकास की हमारी समझ को नया आकार दे सकता है। यह सिद्धांत युवाओं को यह समझने में मदद करता है कि ब्रह्मांड कितना जटिल और अद्भुत है, और उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
भविष्य के अनुसंधान इस सिद्धांत की पुष्टि करने के लिए आवश्यक हैं, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं और संभावित रूप से ब्रह्मांडीय विकास की हमारी समझ को नया आकार देते हैं।