स्रेब्रेनिका नरसंहार की 30वीं वर्षगांठ पर, जहां 8,000 से अधिक बोस्नियाई मुसलमानों की जान गई, भारत के प्राचीन दर्शन के संदर्भ में कुछ गहरे नैतिक प्रश्न उठते हैं। यह घटना, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे भयानक अत्याचारों में से एक, हमें मानवता, जिम्मेदारी और न्याय के अर्थ पर विचार करने के लिए मजबूर करती है। भारतीय दर्शन, जो अहिंसा, करुणा और सभी प्राणियों की एकता पर जोर देता है, हमें इस त्रासदी को समझने और इससे सबक लेने के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करता है। महात्मा गांधी के दर्शन, जो सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित है, स्रेब्रेनिका जैसी घटनाओं को रोकने के लिए एक शक्तिशाली मार्गदर्शक हो सकता है। गांधीजी ने कहा था कि "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी"। स्रेब्रेनिका में जो हुआ, वह घृणा और प्रतिशोध की भावना का परिणाम था, और यह दिखाता है कि हिंसा केवल और अधिक हिंसा को जन्म देती है। भारत, जिसने स्वयं विभाजन की त्रासदी का अनुभव किया है, जानता है कि समुदायों के बीच विश्वास और समझ का निर्माण कितना महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अनुसार, स्रेब्रेनिका नरसंहार था । मानवाधिकारों के लिए यूरोप के आयुक्त, माइकल ओ'फ्लाहर्टी ने पीड़ितों को सम्मानित करने और भविष्य में मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए नागरिक समाज की बात सुनने के महत्व पर जोर दिया । यह महत्वपूर्ण है कि हम उन लोगों की आवाज़ सुनें जो अत्याचारों के शिकार हुए हैं, और उनकी कहानियों से सीखें। पीड़ितों की यादों को संजोकर और सच्चाई को सामने लाकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ऐसी घटनाएं फिर कभी न हों। बोस्निया और हर्जेगोविना में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के आयुक्त ने चेतावनी दी कि नरसंहार से इनकार करना न केवल पीड़ितों और परिवारों का अपमान है, बल्कि नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को महिमामंडित करने के प्रयासों का नवीनीकरण है । भारत, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है, शांति को बढ़ावा देने, कमजोर समुदायों की रक्षा करने और मानवाधिकारों और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए समर्पित है । स्रेब्रेनिका की त्रासदी हमें याद दिलाती है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और उन ताकतों का विरोध करना चाहिए जो विभाजन, घृणा और हिंसा को बढ़ावा देती हैं। हमें सभी के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी समुदाय स्रेब्रेनिका जैसी भयावहता का सामना न करे। यूरोपीय संघ नरसंहार से इनकार करने और युद्ध अपराधों को नकारने का मुकाबला करने के लिए दृढ़ है । स्रेब्रेनिका की सामूहिक यूरोपीय स्मृति महाद्वीप पर स्थायी शांति और सुरक्षा के निर्माण की नींव है। अतीत को याद करके, हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
स्रेब्रेनिका नरसंहार की 30वीं वर्षगांठ: भारतीय दर्शन के आलोक में नैतिक प्रश्न
द्वारा संपादित: Ирина iryna_blgka blgka
स्रोतों
Portal GOV.SI
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