चीन का तिब्बत में मेगाडेम: भारत के लिए भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय चिंताएँ

द्वारा संपादित: Татьяна Гуринович

चीन ने तिब्बत के न्यिंगची काउंटी में यारलुंग त्संगपो नदी पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना की स्वीकृति दी है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र बनने की उम्मीद है। यह परियोजना चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है।

इस परियोजना के कारण भारत और बांग्लादेश में जल आपूर्ति और पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभावों को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं। भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले इलाकों में स्थित राज्यों के हितों को ऊपरी क्षेत्रों में गतिविधियों से नुकसान न हो।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस परियोजना पर बारीकी से नजर रख रहा है, खासकर इसके पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक निहितार्थों पर। यह परियोजना चीन और भारत के बीच जल-साझाकरण समझौतों की आवश्यकता को उजागर करती है ताकि भविष्य में संघर्षों से बचा जा सके।

स्रोतों

  • Deutsche Welle

  • China to build world's largest hydropower dam in Tibet

  • India voices alarm over China's plans to build world's largest dam in Tibet

  • Tibet quake highlights earthquake risk for dams on roof of the world

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