नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी ने विकसित की टेराहर्ट्ज़ तकनीक: भारत के लिए क्या मायने रखता है?

द्वारा संपादित: Tetiana Pinchuk Pinchuk

नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो टेराहर्ट्ज़ कंप्यूटर और माइक्रोचिप बनाने में सक्षम हो सकती है।



इस तकनीक को "थर्मल एमिशन" नाम दिया गया है, और यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ऊर्जा खपत को काफी कम कर सकती है। भारत जैसे ऊर्जा-संवेदनशील देश में, यह तकनीक बिजली की बचत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।



यह टेराहर्ट्ज़ तरंगों के हेरफेर की अनुमति देता है, जिससे तेजी से डेटा प्रोसेसिंग और अधिक कुशल कंप्यूटिंग हो सकती है। कल्पना कीजिए कि डेटा कितनी तेजी से प्रोसेस हो सकता है, जिससे वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सा निदान और संचार में क्रांति आ सकती है।



यह तकनीक संभावित रूप से टेराहर्ट्ज़-आधारित कंप्यूटरों और माइक्रोचिप्स के विकास को जन्म दे सकती है, जो कंप्यूटिंग में क्रांति ला सकती है। यह भारत के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा दे सकता है, जिससे देश में उच्च तकनीक विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का विकास अभी भी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं हैं।

स्रोतों

  • newsbomb.gr

  • Phys.org

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