यू.एस. आइसक्रीम निर्माताओं ने सिंथेटिक रंगों को हटाने का वादा किया: भारत में स्वास्थ्य और सुरक्षा निहितार्थ

द्वारा संपादित: Olga Samsonova

संयुक्त राज्य अमेरिका में, 40 से अधिक आइसक्रीम निर्माताओं ने 2028 के अंत तक सिंथेटिक रंगों को खत्म करने का वादा किया है। इस कदम का भारत में स्वास्थ्य और सुरक्षा के संदर्भ में क्या मतलब है? भारत में आइसक्रीम बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। ऐसे में, सिंथेटिक रंगों के उपयोग को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। भारत में, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) खाद्य उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले रंगों को नियंत्रित करता है। एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार, केवल कुछ ही सिंथेटिक रंगों का उपयोग खाद्य पदार्थों में किया जा सकता है, और उनकी मात्रा भी सीमित है। हालांकि, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि इन रंगों का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर बच्चों में । सिंथेटिक रंगों के संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ, कई भारतीय उपभोक्ता अब प्राकृतिक रंगों वाले उत्पादों को पसंद कर रहे हैं। हल्दी, केसर, चुकंदर और पालक जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंग न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि वे खाद्य पदार्थों को अतिरिक्त पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं। भारत में आइसक्रीम निर्माताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वे अपने उत्पादों में सिंथेटिक रंगों को हटाकर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें। ऐसा करने से न केवल वे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर पाएंगे, बल्कि अपने उत्पादों को अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी भी बना पाएंगे। उदाहरण के लिए, अमूल और मदर डेयरी जैसे प्रमुख ब्रांडों ने पहले से ही अपने कुछ आइसक्रीम उत्पादों में प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। हालांकि, सिंथेटिक रंगों को पूरी तरह से हटाने के लिए, आइसक्रीम निर्माताओं को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। प्राकृतिक रंग सिंथेटिक रंगों की तुलना में अधिक महंगे हो सकते हैं, और वे उत्पादों को समान रंग और स्थिरता प्रदान नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक रंगों की आपूर्ति भी सीमित हो सकती है। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में आइसक्रीम निर्माताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सिंथेटिक रंगों को हटाने और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की दिशा में काम करें। ऐसा करके, वे न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर पाएंगे, बल्कि एक स्थायी और जिम्मेदार व्यवसाय भी बना पाएंगे। भारत में आइसक्रीम की खपत प्रति वर्ष लगभग 300 मिलियन लीटर है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण बाजार है । उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प प्रदान करके, आइसक्रीम निर्माता इस बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

स्रोतों

  • Prensa Libre

  • Reuters

  • Food Dive

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