खीरे की कड़वाहट मुख्यतः कुकुर्बिटासिन नामक यौगिक के कारण होती है, जो पौधों में कीटों से रक्षा करने वाला प्राकृतिक रसायन है। यह यौगिक आमतौर पर खीरे के तने और पत्तियों में पाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह फल में भी मिल सकता है, जिससे कड़वाहट उत्पन्न होती है।
अधिकांश व्यावसायिक किस्मों में कुकुर्बिटासिन की मात्रा कम होती है, जिससे कड़वाहट कम होती है। हालांकि, यदि खीरा अत्यधिक कड़वा है, तो उसे न खाना ही उचित है, क्योंकि अत्यधिक कुकुर्बिटासिन का सेवन पाचन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि पेट में दर्द, दस्त, और उल्टी।
खीरे की कड़वाहट को कम करने के लिए, खीरे के सिरों को काटकर और छिलका उतारकर कुकुर्बिटासिन की मात्रा को घटाया जा सकता है। इसके अलावा, खीरे को पर्याप्त पानी और धूप प्रदान करके उगाना भी कड़वाहट को कम करने में मदद कर सकता है।
यदि खीरे का स्वाद अत्यधिक कड़वा हो, तो उसे न खाना ही उचित है, क्योंकि अत्यधिक कुकुर्बिटासिन का सेवन पाचन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि पेट में दर्द, दस्त, और उल्टी।