अमेरिकी न्याय विभाग ने संघीय अभियोजक और पूर्व एफबीआई निदेशक जेम्स कोमी की बेटी, मॉरीन कोमी को बिना किसी स्पष्ट कारण के बर्खास्त कर दिया है। यह कदम न्याय विभाग के भीतर राजनीतिक हस्तक्षेप और न्यायिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है।
मॉरीन कोमी ने अपनी बर्खास्तगी के बाद अपने सहयोगियों को एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा, "डर तानाशाह का उपकरण है, जो स्वतंत्र विचार को दबाने के लिए प्रयोग किया जाता है।" उन्होंने अपने साथियों से न्याय की खोज में समर्पित रहने की अपील की।
मॉरीन कोमी ने जेफरी एपस्टीन और शॉन "डिडी" कॉम्ब्स के खिलाफ महत्वपूर्ण मामलों में भाग लिया था। उनकी बर्खास्तगी से न्याय विभाग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयाँ संघीय अभियोजकों की स्वतंत्रता में राजनीतिक हस्तक्षेप के प्रयास के रूप में देखी जा सकती हैं, जो समाज में न्याय की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
भारत में, इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के बारे में बहस को फिर से जगा दिया है। हाल के वर्षों में, न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव के आरोप लगे हैं, जिससे जनता के बीच चिंता बढ़ गई है।
कानूनी विश्लेषण से संकेत मिलता है कि हालांकि राष्ट्रपति के पास अधिकारियों को नियुक्त करने और हटाने के संबंध में व्यापक अधिकार हैं, लेकिन ऐसे निर्णय नैतिकता के सिद्धांतों और न्याय की छवि की देखभाल को ध्यान में रखते हुए किए जाने चाहिए। अन्यथा, जनता के विश्वास के क्षरण का खतरा है, जिसके कानून के शासन के कामकाज के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।