श्रीमद् भगवत गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र, भारत के दो सबसे प्रतिष्ठित प्राचीन ग्रंथों को यूनेस्को की 'विश्व स्मृति रजिस्टर' में शामिल किया गया है। यह समावेशन विश्व की दस्तावेजी विरासत के हिस्से के रूप में उनके असाधारण मूल्य को मान्यता देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मान्यता को भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने इन ग्रंथों में निहित कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति पर जोर दिया।
भगवत गीता, अपने 700 श्लोकों के साथ, भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक दार्शनिक संवाद है। यह विविध भारतीय विचार प्रणालियों को एकीकृत करता है और विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक और दार्शनिक मार्गदर्शक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
नाट्यशास्त्र, जिसे लगभग 2 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में ऋषि भरत मुनि द्वारा संहिताबद्ध किया गया था, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच और संगीत का आधार है। इसकी अवधारणाएँ वैश्विक कला और साहित्य को प्रभावित करती रहती हैं।
यूनेस्को के 'विश्व स्मृति कार्यक्रम' का उद्देश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेजों की सुरक्षा और उन तक पहुंच को बढ़ावा देना है। इन ग्रंथों का जुड़ना उनके स्थायी महत्व और वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करता है।