एडुआर्डो सोउटो डी मौरा को प्रेएमियम इम्पीरियल पुरस्कार: भारत पर सामाजिक-मनोवैज्ञानिक प्रभाव

द्वारा संपादित: Ек Soshnikova

पुर्तगाली वास्तुकार एडुआर्डो सोउटो डी मौरा को जापान आर्ट एसोसिएशन द्वारा वास्तुकला के लिए प्रेएमियम इम्पीरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । यह पुरस्कार न केवल उनकी कलात्मक उत्कृष्टता को मान्यता देता है, बल्कि भारतीय समाज और मनोविज्ञान पर इसके संभावित प्रभाव को भी उजागर करता है। मौरा का काम, जो स्थानीय परंपराओं और संस्कृति के प्रति सम्मान पर जोर देता है, भारत में सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के साथ गहराई से प्रतिध्वनित होता है । भारत में, जहां वास्तुकला हमेशा सामाजिक ताने-बाने और व्यक्तिगत पहचान का एक अभिन्न अंग रही है, मौरा का दृष्टिकोण विशेष रूप से प्रासंगिक है। उनकी इमारतों में सादगी, प्राकृतिक सामग्री का उपयोग और संदर्भ के प्रति संवेदनशीलता भारतीय मनोविज्ञान पर गहरा प्रभाव डाल सकती है, जिससे समुदाय और अपनेपन की भावना को बढ़ावा मिलता है । उदाहरण के लिए, मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में, मौरा के डिजाइन सिद्धांत भीड़भाड़ को कम करने और निवासियों के लिए अधिक आरामदायक और सुखद वातावरण बनाने में मदद कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त, मौरा का काम सामाजिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकता है। उनकी इमारतों को अक्सर सभी के लिए सुलभ और उपयोग में आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि या शारीरिक क्षमता कुछ भी हो। यह दृष्टिकोण भारतीय समाज में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अक्सर वास्तुकला और शहरी नियोजन में अनदेखा कर दिया जाता है । प्रेएमियम इम्पीरियल पुरस्कार भारत में वास्तुकारों और डिजाइनरों को मौरा के उदाहरण से प्रेरणा लेने और ऐसी इमारतों को बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है जो न केवल सौंदर्यपूर्ण रूप से मनभावन हों, बल्कि सामाजिक रूप से जिम्मेदार और मनोवैज्ञानिक रूप से लाभकारी भी हों। यह पुरस्कार भारतीय समाज में वास्तुकला की भूमिका के बारे में एक महत्वपूर्ण बातचीत को जन्म दे सकता है, जिससे अधिक समावेशी, टिकाऊ और मानव-केंद्रित निर्मित वातावरण बन सकता है । मौरा को 2011 में प्रित्ज़कर पुरस्कार भी मिला, जो वास्तुकला के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान को और मजबूत करता है । इस पुरस्कार के माध्यम से, मौरा का काम भारत में सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण हो सकता है ।

स्रोतों

  • Observador

  • ANSA.it

  • Euronews

  • Praemium Imperiale Official Website

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