भारत में बांधों का निर्माण एक जटिल मुद्दा है जो स्थानीय समुदायों के जीवन को गहराई से प्रभावित करता है। एक तरफ, बांध सिंचाई, बिजली और बाढ़ नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं, जो आर्थिक विकास और जीवन स्तर में सुधार के लिए आवश्यक हैं। दूसरी ओर, बांधों के निर्माण से बड़े पैमाने पर विस्थापन होता है, जिससे लाखों लोग अपनी जमीन, घर और आजीविका से वंचित हो जाते हैं । यह विस्थापन अक्सर सामाजिक और आर्थिक व्यवधान, सांस्कृतिक विरासत का नुकसान और गरीबी और असमानता में वृद्धि की ओर ले जाता है। पिछले 60 वर्षों में, भारत में लगभग 4,300 बड़े बांधों के निर्माण के कारण 40 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं । स्थानीय समुदायों के लिए बांधों के लाभों का समान रूप से वितरण भी एक चुनौती है। कई मामलों में, बांधों से लाभ बड़े शहरों और उद्योगों को होता है, जबकि स्थानीय समुदायों को नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि जल संसाधनों का नुकसान, मछली पकड़ने के मैदानों का विनाश और कृषि भूमि का जलमग्न होना। उदाहरण के लिए, अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट (SUMP) का स्थानीय आबादी विरोध कर रही है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनका विस्थापन होगा और उनकी आजीविका नष्ट हो जाएगी । इस परियोजना में 11,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाला एक जलविद्युत संयंत्र शामिल है, लेकिन स्थानीय लोगों को सरकार की गोपनीयता और परियोजना के संभावित प्रभावों के बारे में चिंताएं हैं । भारत में बांधों के निर्माण से जुड़े मुद्दों को संबोधित करने के लिए, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सहमति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन में उन्हें शामिल करके, उनकी चिंताओं को दूर किया जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उन्हें बांधों से लाभ मिले। इसके अतिरिक्त, विस्थापित लोगों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे अपनी आजीविका का पुनर्निर्माण कर सकें और बेहतर जीवन जी सकें। भारत में बांधों के निर्माण की कहानी विकास और विस्थापन की कहानी है, और यह महत्वपूर्ण है कि हम स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हितों को ध्यान में रखते हुए एक स्थायी और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाएं।
स्थानीय संदर्भ में बांधों का निर्माण: भारत में विकास और विस्थापन की कहानी
द्वारा संपादित: Vera Mo
स्रोतों
Stirile ProTV
Water storage in dams has caused minute shifts in Earth’s poles - AGU Newsroom
Dams around the world hold so much water they've shifted Earth's poles, new research shows - Live Science
The North Pole could wander nearly 90 feet west by the end of the century - Live Science
इस विषय पर और अधिक समाचार पढ़ें:
क्या आपने कोई गलती या अशुद्धि पाई?
हम जल्द ही आपकी टिप्पणियों पर विचार करेंगे।