मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, जून 2025 में वैश्विक इक्विटी बाजार पूंजीकरण में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 4% हो गई। यह वृद्धि फरवरी 2025 में 16 महीने के निचले स्तर 3.6% से सुधार का संकेत है, जो निवेशकों के नए आत्मविश्वास को दर्शाता है। यह भारत के लिए एक शुभ संकेत है, जो 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना को बढ़ावा देता है।
वैश्विक इक्विटी बाजार में शीर्ष 10 योगदानकर्ताओं में भारत की स्थिति इसके शेयर बाजारों की ताकत को उजागर करती है। संयुक्त राज्य अमेरिका 48.2% के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद चीन 8.0% पर है। भारत पांचवें स्थान पर है, जो कनाडा और यूके जैसे देशों से आगे है। यह 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी पहलों की सफलता को दर्शाता है।
पिछले एक दशक में, भारत का बाजार पूंजीकरण लगातार बढ़ा है। वर्तमान 4% हिस्सा 15 साल के औसत 2.8% से काफी अधिक है। यह सुधार 2024 के अंत में हाल ही के 4.6% के उच्च स्तर के बाद हुआ है, जो वैश्विक इक्विटी बाजारों की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। (स्रोत: मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज, जून 2025)