कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विद्वानों ने 130 वर्ष पुरानी साहित्यिक पहेली को सुलझाया है, जिसमें "वेड का गीत" को एक शूरवीर प्रेम कहानी के रूप में पुनः व्याख्यायित किया गया है।
डॉ. जेम्स वेड और डॉ. सेब फाल्क ने पाया कि एक मध्ययुगीन उपदेश में "वेड का गीत" का उल्लेख करते समय, एक लिपिकीय त्रुटि के कारण "एल्व्स" (परी) को "वुल्व्स" (भेड़िए) के रूप में गलत समझा गया था। इस सुधार के साथ, यह कथा अब शूरवीर प्रेम कहानी के रूप में समझी जाती है, जो जेफ्री चौसर के कार्यों में संदर्भित है।
यह खोज न केवल "वेड का गीत" की प्रकृति को स्पष्ट करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मध्ययुगीन उपदेशक अपने दर्शकों को आकर्षित करने के लिए लोकप्रिय संस्कृति का उपयोग करते थे।
यह अध्ययन "द रिव्यू ऑफ इंग्लिश स्टडीज" में प्रकाशित हुआ है और मध्ययुगीन साहित्य और उपदेश प्रथाओं की हमारी समझ को बढ़ाता है।