उच्च विद्यालय के बाद विवाह को लेकर माता-पिता का विरोध: सामाजिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

द्वारा संपादित: Olga Samsonova

उच्च विद्यालय के बाद विवाह को लेकर माता-पिता अक्सर चिंतित रहते हैं। इसके पीछे कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं। माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सुरक्षात्मक महसूस करते हैं और चाहते हैं कि वे जीवन में सही निर्णय लें। इस संदर्भ में, यह देखना महत्वपूर्ण है कि माता-पिता के विरोध के पीछे क्या सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारण हैं। सबसे पहले, माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे अभी भावनात्मक रूप से परिपक्व नहीं हैं। किशोरावस्था में, युवा अपनी पहचान और भावनाओं को समझने की प्रक्रिया में होते हैं। विवाह एक गंभीर प्रतिबद्धता है जिसके लिए भावनात्मक स्थिरता और समझदारी की आवश्यकता होती है। माता-पिता को डर होता है कि उनके बच्चे इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार नहीं हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों के माता-पिता खुशहाल वैवाहिक जीवन जीते हैं, वे बच्चे शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं और देर से विवाह करते हैं । दूसरा, वित्तीय असुरक्षा भी एक बड़ा कारण है। कई युवा उच्च विद्यालय के बाद आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होते हैं। वे माता-पिता पर निर्भर रहते हैं या उनके पास स्थिर नौकरी नहीं होती है। विवाह के बाद, वित्तीय जिम्मेदारी बढ़ जाती है, और माता-पिता को डर होता है कि उनके बच्चे इस दबाव को संभालने में सक्षम नहीं होंगे। भारत में, बाल विवाह के मामलों में गरीबी एक प्रमुख कारण है, जहाँ परिवार अपनी बेटियों को आर्थिक बोझ कम करने के लिए कम उम्र में ही शादी कर देते हैं । तीसरा, शिक्षा का महत्व भी एक कारक है। माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करें और अपने करियर में सफल हों। वे मानते हैं कि कम उम्र में विवाह करने से शिक्षा बाधित हो सकती है और भविष्य की संभावनाएं कम हो सकती हैं। माता-पिता को यह भी डर होता है कि विवाह के बाद लड़कियों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। सब-सहारा अफ्रीका में, जिन महिलाओं को कोई शिक्षा नहीं मिली है, उनमें से 66% की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी, जबकि 12 साल से अधिक की शिक्षा प्राप्त करने वालों में यह आंकड़ा केवल 13% था । इसके अतिरिक्त, माता-पिता सामाजिक दबाव और रूढ़ियों से भी प्रभावित होते हैं। समाज में, कम उम्र में विवाह को अक्सर नकारात्मक रूप से देखा जाता है। माता-पिता को डर होता है कि उनके बच्चों को सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़ेगा। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे समाज में सम्मानजनक जीवन जिएं। अंत में, माता-पिता का विरोध उनके बच्चों के प्रति प्यार और चिंता का प्रतीक है। वे अपने बच्चों को सुरक्षित और खुश देखना चाहते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ संवाद करें और उनकी भावनाओं को समझें। बच्चों को भी अपने माता-पिता की चिंताओं को सुनना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए कि वे जिम्मेदार निर्णय लेने में सक्षम हैं। माता-पिता और बच्चों के बीच समझ और सहयोग से ही इस मुद्दे का समाधान किया जा सकता है।

स्रोतों

  • IDN Times

  • Hampir 50% Perempuan Indonesia Menikah di Usia 19-24 Tahun

  • Pemuda Indonesia yang Belum Kawin Terus Naik

  • Menekan Angka Pernikahan Di Usia Muda

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