एआई और पशु नैतिकता: भारत में लैंगिक परिप्रेक्ष्य

द्वारा संपादित: Elena HealthEnergy

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (एलएसई) में जेरेमी कोलर एनिमल कॉन्शियसनेस सेंटर की स्थापना पशु चेतना और नैतिक एआई अनुप्रयोगों को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । 4 मिलियन पाउंड का यह केंद्र कीड़ों, क्रस्टेशियंस और कटलफिश सहित विभिन्न जानवरों में चेतना पर शोध करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्र का उद्देश्य यह पता लगाना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मनुष्यों को अपने पालतू जानवरों के साथ संवाद करने में कैसे मदद कर सकती है, साथ ही कृषि में एआई के नैतिक निहितार्थों को भी संबोधित करना है। केंद्र के निदेशक प्रोफेसर जोनाथन बर्च, पशु कल्याण को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए जिम्मेदार एआई उपयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। केंद्र सिफारिशों और अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को विकसित करने के लिए गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करेगा। प्रोफेसर जेफ सेबो, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, पशु चेतना को समझने और जानवरों पर एआई के प्रभाव के महत्व पर जोर देते हैं, क्योंकि ये आधुनिक समाज की सबसे महत्वपूर्ण और अनदेखी चुनौतियों में से हैं। प्रोफेसर क्रिस्टिन एंड्रयूज का मानना है कि पशु चेतना का अध्ययन हमें मानव चेतना को समझने और स्ट्रोक जैसी चिकित्सा स्थितियों में मदद कर सकता है । संस्थापक, जेरेमी कोलर का मानना है कि जानवरों को कैसा महसूस होता है और वे कैसे संवाद करते हैं, इसे समझने से लोगों को जानवरों के साथ उनके व्यवहार में कमियों को पहचानने में मदद मिलेगी। केंद्र के काम से पशु कल्याण और एआई के नैतिक उपयोग में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि मिलने की उम्मीद है। भारत में, जहां पशुओं के प्रति व्यवहार में लैंगिक भूमिकाएं महत्वपूर्ण हैं, एआई के नैतिक उपयोग पर लैंगिक परिप्रेक्ष्य से विचार करना आवश्यक है। यह शोध पशु कल्याण को बढ़ाने और चेतना की गहरी समझ प्रदान करने का वादा करता है, जिससे जानवरों और मनुष्यों दोनों को लाभ होगा । केंद्र के निष्कर्षों से पशु देखभाल प्रथाओं और एआई अनुप्रयोगों के लिए नैतिक दिशानिर्देशों में सुधार हो सकता है। भारत में, जहां महिलाएं अक्सर पशुधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, एआई के नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उनकी आवाज को शामिल करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, डेयरी उद्योग में एआई का उपयोग गायों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस तकनीक का उपयोग महिलाओं के श्रम को कम करने या उन्हें हाशिए पर धकेलने के लिए न किया जाए। इसी तरह, कृषि में एआई का उपयोग फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस तकनीक का उपयोग छोटे किसानों, विशेषकर महिलाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए न किया जाए। एआई के विकास और उपयोग में लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह तकनीक सभी के लिए फायदेमंद हो।

स्रोतों

  • Oslobođenje d.o.o.

  • LSE announces new centre to study animal sentience

  • Scientists to study animal emotions at new research centre

  • Collaborations | Coller Foundation

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