भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिए पांचवें दौर की वार्ता 14 से 17 जुलाई, 2025 तक वाशिंगटन, डी.सी. में संपन्न हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राजेश अग्रवाल ने किया, जो वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव हैं।
इन वार्ताओं का मुख्य उद्देश्य 1 अगस्त की समय सीमा से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना था, जब तक कि अमेरिकी टैरिफ फिर से लागू नहीं होंगे। चर्चा के प्रमुख मुद्दों में कृषि, ऑटोमोबाइल, इस्पात और एल्यूमीनियम टैरिफ, और एसकॉमईटी शामिल थे।
भारत ने अमेरिकी टैरिफ को हटाने की मांग की, विशेषकर इस्पात, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल पर। इसके बदले, भारत ने अपने श्रम-गहन क्षेत्रों जैसे वस्त्र, आभूषण, चमड़े के सामान, प्लास्टिक, रसायन, झींगे, तेल बीज, अंगूर और केले के लिए शुल्क रियायतें मांगी।
अमेरिका ने औद्योगिक वस्तुओं, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, और कृषि वस्तुओं जैसे सेब, मेवे और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर शुल्क रियायतें चाहीं।
इन वार्ताओं का युवा पीढ़ी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। यदि द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होती है, तो इससे रोजगार और व्यापार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि, कृषि क्षेत्र में अमेरिकी उत्पादों के प्रवेश से स्थानीय किसानों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे युवाओं को इस मुद्दे पर जागरूक रहने और अपनी राय व्यक्त करने की आवश्यकता है।
भारत और अमेरिका के बीच सफल व्यापार समझौता युवा पीढ़ी के लिए समृद्धि और विकास के नए अवसर खोल सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि युवा इन वार्ताओं में सक्रिय भूमिका निभाएं और एक बेहतर भविष्य के लिए काम करें।