हार्वर्ड वैज्ञानिकों ने चूहों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को पलटा: नैतिक निहितार्थ

द्वारा संपादित: Liliya Shabalina

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डेविड सिंक्लेयर और उनकी टीम ने चूहों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलटने में सफलता प्राप्त की है।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने चूहों के डीएनए में अस्थायी "कट्स" बनाए, जो जीवनशैली और पर्यावरणीय प्रभावों के कारण होने वाले एपिजेनेटिक परिवर्तनों की नकल करते हैं।

इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप चूहे वृद्धावस्था के लक्षण दिखाने लगे।

फिर, टीम ने जीन थेरेपी का उपयोग करके इन परिवर्तनों को उलट दिया, जिससे चूहों की कोशिकाओं ने युवा अवस्था की कार्यप्रणाली को फिर से प्राप्त किया।

यह खोज इस सिद्धांत का समर्थन करती है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया डीएनए में उत्परिवर्तन के बजाय एपिजेनेटिक जानकारी की हानि के कारण होती है।

हालांकि, इस तकनीक के मानवों पर संभावित उपयोग के साथ कई नैतिक और सामाजिक विचार उत्पन्न होते हैं।

इनमें उपचारों की पहुंच, समानता, और दीर्घकालिक प्रभाव शामिल हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

शोधकर्ताओं का लक्ष्य इन उपचारों को व्यापक रूप से सुलभ बनाना है, जो संभावित रूप से निवारक और पुनर्योजी चिकित्सा को बदल सकता है।

यह अध्ययन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके मानवों पर प्रभावी उपयोग के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

स्रोतों

  • LA TERCERA

  • Infobae

  • LA NACION

  • ADN Radio

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